TOP BAGLAMUKHI SADHNA SECRETS

Top baglamukhi sadhna Secrets

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अंतः ‘वल्गा-मुखी’ या ‘बगला-मुखी’ से ‘नियन्त्रित’ करनेवाली शक्ति का बोध

शिव-भूमि-युत शक्ति-नाद-विन्दु-समन्वितम्।

जिह्वाग्रमादाय करेण देवीम्, वामेन शत्रून् परि-पीडयन्तीम् ।

२१. श्रीजृम्भिण्यै नमः सर्व-प्रकार से विकसित होनेवाली/प्रसारित होनेवाली शक्ति को नमस्कार

२३. श्रीरम्भायै नमः अत्यन्त सुन्दरी को नमस्कार

ध्यान सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम् हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

कौलागमैक-संवेद्यां, सदा कौल-प्रियाम्बिकाम् ।

२४. श्रीपीतायै नमः पीत-वर्णा स्थिरता-बोधक शक्ति को नमस्कार।

‘धरुणः पृथिव्याः’ पद पृथिवी तत्त्व की प्रतिष्ठा बताता है-‘प्रतिष्ठा वै धरुणम्’ (शतपथ ब्राह्मण ७-४-२-५)।

योगिन्यः सर्वदा पान्तु, महाऽरण्ये सदा मम ।।१६

३२. ॐ ह्लीं श्रीं तं read more श्रीअजितायै नमः—वामोरु- मूले (बाईं जाँघ एवं कमर के जोड़ में) ।

अर्थात् ‘ इन्द्रादि देवताओं द्वारा पराजित होकर भागे हुए राक्षसों ने देवताओं के बध के लिए अस्थि, केश, नखादि पदार्थों के द्वारा अभिचार किया।’

५०. ॐ ह्लीं श्रीं ळं श्रीसु-रूपा बहु-भाषिण्यै नमः – हृदयादि मुखे (हृदय से मुख तक)

माहेशी दक्षिणे पातु, चामुण्डा राक्षसेऽवतु । कौमारी पश्चिमे पातु, वायव्ये चापराजिता ।।१३

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